प्रारंभिक बाल्यवस्था देखभाल एवं शिक्षा (ई.सी.सी.ई.) e-.LA एवं“अभिभावकों के लिए सजगता” कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रशिक्षण

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पटना, 25 सितम्बर: समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय, बिहार सरकार की ओर से आज सभी जिला प्रोग्राम पदाधिकारी , बाल विकास परियोजना पदाधिकारी , महिला पर्यवेक्षकों और आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए ECCE – e-.LA एवं“अभिभावकों के लिए सजगता” कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान श्री अलोक कुमार, निदेशक, आईसीडीएस, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार, श्रीमती श्वेता सहाय, सहायक निदेशक सह नोडल पदाधिकारी ई.सी.सी.ई. एवं पोषण अभियान , आई.सी.डी.एस, यूनिसेफ से श्रीमती सुनिषा आहूजा , नई दिल्ली , एवं प्रमिला मनोहरण यूनिसेफ बिहार , श्री चितरंजन कॉल –सीएलआर पुणे एवं अन्य अधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ), बाल विकास कार्यक्रम पदाधिकारी (सीडीपीओ), महिला पर्यवेक्षक और आंगनवाड़ी सेविकाएं मौजूद रहीं.

आलोक कुमार, निदेशक, आईसीडीएस, बिहार, ने कहा कि ICDS कार्यक्रम के जमीनी स्तर पर सफलतापूर्वक संचालन में हमारी आंगनवाड़ी सेविकाएं और महिला पर्यवेक्षिका की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है . बच्चों के जीवन के प्रारंभिक वर्ष उनके सर्वांगीण विकास के लिए बहुत मत्वपूर्ण है .किस उम्र तक बच्चे के दिमाग का कितना विकास हो जाता है . इसकी जानकारी आम जनता को नहीं होती है. इसे ध्यान में रखकर ही प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जा रहा है. इसी कड़ी में पोषण अभियान के अंतर्गत ECCE कार्यक्रम को तकनीक के माध्यम से ICDS कार्यकर्ताओं के क्षमता वर्धन हेतु ECCE का ऑनलाइन (E.LA) प्रशिक्षण एवं “अभिभाकों हेतु सजगता” कार्यक्रम की शुरुआत यूनिसेफ एवं सी.एल.आर के सहयोग से किया जा रहा है . जिससे आंगनवाड़ी सेविका बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं पोषण हेतु जानकारी समुदाय को प्रदान करने में सक्षम हो सकेंगी . नन्हें बच्चों के बौद्धिक विकास एवं सीखने की प्रक्रिया और नौनिहालों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए उनके भविष्य की गढऩे की प्रक्रिया में इस पहल का महत्वपूर्ण योगदान होगा.

सहायक निदेशक, ICDS , श्रीमती श्वेता सहाय ने कहा कि पोषण अभियान के तहत ECCE के E.LA module का क्रियान्वयन हेतु महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली एवं यूनिसेफ के सहयोग से मोबाइल ऐप एवं वेब डैशबोर्ड (e.la) बनाया गया है . आंगनवाड़ी सेविका एवं महिला पर्यवेक्षिका मोबाइल ऐप के माध्यमECCE के ऑनलाइन module को पूरा कर सकती है वहीँ जिला प्रोग्राम पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी वेब डैशबोर्ड के माद्यम से कोर्स कर सकती है .प्रत्येक महिला पर्यवेक्षिका एवं आंगनवाड़ी सेविका को कोर्स की पूरा करने पर ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी दिए जाने का ऐप में प्रावधान है .“अभिभाकों हेतु सजगता” कार्यक्रम के संदर्भ में उन्होंने बताया की इस कार्यक्रमके तहत पिछले दो महीने से हर सप्ताह गया और पूर्णिया जिले में 5 मिनट का ऑडियो सन्देश व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक सप्ताह के सोमवार को अभिभावकों के लिए ऑडियो भेजी जा रही यह जागरूकता संदेश आईसीडीएस में भेजा जाता है, वहां से डीपीओ, डीपीओ से एसडीपीओ, एसडीपीओ से महिला पर्यवेक्षिका और फिर आंगनवाड़ी सेविकाओं तक और अंत में आंगनवाड़ी सेवाकाएं अभिभावकों तक सन्देश पहुंचाती है. इससे माता-पिता को जागरूक करने में मदद मिलती है. ऑडियो मैसेज में बच्चों के सही परवरिश के सुझाव,कहानी एवं गीत भेजे जा रहे हैं।

सुनिशा आहुजा, शिक्षा विशेषज्ञ, यूनिसेफ नई दिल्ली, ने प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और देखभाल (ईसीसीई) पर बनाये गए ई माड्यूल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस ई मोड्यूल्स में 21 भाग है जिसमें बच्चों के शुरुआती वर्षों का महत्व और मस्तिष्क का विकास, बच्चों के विकास की दृष्टि के हिसाब गतिविधियां, उनके सीखने और विकास का मूल्यांकन, किस तरह अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है आदि के बारे में पर्याप्त जानकारियां उपलब्ध है.

यूनिसेफ, बिहार की शिक्षा विशेषज्ञ प्रमिला मनोहरण ने कहा कि, आईसीडीएस सिर्फ बच्चों के सीखने और सिखाने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और अच्छी परवरिश से जुड़ी महत्वपूर्ण योजना है. यह अपने आप में एक सम्पूर्ण योजना है. बच्चे हमारे भविष्य हैं और ये भविष्य सुनहरा हो इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी कार्यक्रम अच्छे से लागू हो.

प्रवीण चंद्रा, राज्य सलाहकार – ईसीसीई , यूनिसेफ ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के क्रमिक क्षमता विकास के लिए बनाए गए ई-आईएलए एप और इसके उपयोग के बारे में एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह मौड्यूल आईसीडीएस के वेबसाइट पर उपलब्ध है.

चितरंजन कौल, निदेशक, सीएलआर, पुणे ने सजग कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी में बच्चे सिर्फ 4-5 घंटे ही रहते है और बाकी का समय अपने परिवार के साथ बिताते है. ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि घर में बच्चों को एक ऐसा वातावरण मिले जिसमें बच्चों का सर्वंगीण विकास हो सकें. अब महामारी के समय जब आंगनवाड़ी केंद्र बंद हो गए है तो इस कार्यक्रम की महत्ता और बढ़ गई है.

आईसीडीएस के बलिंदर सिंह ने जन आन्दोलन डैशबोर्ड एंट्री करने के बारे में में विस्तारपूर्वक जानकारी दी.
इस दौरान डीपीओ, बाल विकास कार्यक्रम पदाधिकारी ने जमीनी स्तर के अपने अनुभव साझा किए. साथ ही यू ट्यूब के माध्यम से जुड़े आंगनवाड़ी सेविअकाओं ने अपने-अपने प्रश्न किये.

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