स्थानीय किसानों ने कृषि क्षेत्र के पुनरुद्धार के लिए अक्षय ऊर्जा आधारित नीति पर जोर दिया 

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गया, 12 अक्टूबर, 2020 : गया जिले के करजारा पंचायत (वजीरगंज प्रखंड) के किसानों ने आज एक अनोखे तरीके से काकभगौड़ा पुतला (खेतों में पक्षियों-जानवरों को भगाने के लिए लगाए जाने वाला पुतला) पर अक्षय ऊर्जा के समर्थन के सन्देश को सजा कर खेती-किसानी को बेहतर करने की मांग का प्रदर्शन किया, ताकि जलवायु परिवर्तन संकट की समस्या का समाधान करते हुए कृषि क्षेत्र का पुनरुद्धार किया जा सके. इस दौरान स्थानीय किसानों ने धान के खेतों में पुतलों को सजाया और उन पर “बोलेगा बिहार, अक्षय ऊर्जा इस बार”, “किसान की चाह, अक्षय ऊर्जा ही राह” जैसे आशा और समृद्धि भरे संदेशों को प्रदर्शित कर सबका मन मोह लिया. इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों ने पूरे एग्रीकल्चर वैल्यू चेन को सोलर एनर्जी से लैस करने की मांग रखी.
यह कार्यक्रम एक पब्लिक कैंपेन ‘बोलेगा बिहार, अक्षय ऊर्जा इस बार’ का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अक्षय ऊर्जा आधारित समाधानों के बारे में जन-जागरूकता फैलाते हुए इस पर आम सहमति बनाना है, ताकि राज्य में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणालियों का हरेक क्षेत्र में व्यापक फैलाव हो और इसके जरिए राज्य को सतत विकास के मार्ग पर ले जाया जा सके. पिछले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि गतिविधियों पर काफी असर पड़ा है. प्राकृतिक आपदाओं ने कृषि संकट के अलावा खाद्य और आजीविका सुरक्षा को हानि पहुंचाई है. ऐसे में स्वच्छ तकनीक पर आधारित अक्षय ऊर्जा एक उम्मीद की किरण बन कर आयी है, जिससे जीवाश्म ईंधनों से गंभीर हो गए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
इस अवसर पर करजारा पंचायत के मुखिया श्री पप्पू शर्मा ने कहा कि, “कृषि को लाभपरक बनाने के लिए सिंचाई प्रणाली और ऊर्जा आपूर्ति को बेहतर करते हुए पूरी फसल उत्पादन प्रणाली के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है. ऐसे में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणालियों पर आधारित समाधान कृषि गतिविधियों के लिए बेहद अनुकूल हैं. छोटे एवं सीमांत किसानों के हित में सौर ऊर्जा आधारित कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्याप्त वित्तीय व्यवस्था और मार्केट लिंकेज पर आधारित एक मजबूत नीति तैयार करने की जरूरत है.”
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समस्याओं के बारे में चिंता जताते हुए करजारा पंचायत की वार्ड सदस्य और महिला किसान श्रीमती विमला चौधरी ने कहा कि “स्थानीय स्तर पर सुखाड़ की समस्या से निपटने के लिए जलवायु अनुकूल कृषि और जल संरचनाओं की बेहद जरूरत है. आज के समय में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा मॉडल जैसे – माइक्रो और मिनी ग्रिड, सोलर पंप-सेट, सोलर कोल्ड स्टोरेज और सोलर आधारित फीडर कृषि क्षेत्र का पुनरुद्धार कर सकते हैं. इससे राज्य की अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत होगी.”
इस कार्यक्रम में किसानों ने सामूहिक रूप से कृषि क्षेत्र के ‘सौरकरण’ (सोलराइजेशन ऑफ़ एग्रीकल्चर), हर खेत में सोलर पंप सेट, हर पंचायत में एक सोलर कोल्ड स्टोरेज और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा के व्यापक फैलाव और सौर उपकरणों के वित्त-पोषण और प्रोत्साहन से जुड़ी एक मजबूत नीति शुरू करने की मांग रखी, ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान बढ़े और विकास की गति तेज हो सके. इसके अलावा किसानों ने पारंपरिक जल स्रोतों जैसे ‘आहरा, पाइन, इनारा’ और तालाबों के उद्धार के लिए भी एक एकीकृत नीति बनाने की मांग रखी.
इस मौके पर वरिष्ठ किसान श्री दिवाशंकर प्रताप ने कहा कि “कृषि क्षेत्र के आकार और विस्तार को ध्यान में रखते हुए आज हमें एक ऐसे समग्र कृषि-विकास मॉडल की आवश्यकता है, जो अक्षय ऊर्जा समाधानों पर केंद्रित हो. इससे कृषि गतिविधियों में तो समृद्धि आएगी ही, साथ ही स्वच्छ और हरा-भरा भविष्य भी बन सकेगा.”
“बोलेगा बिहार, अक्षय ऊर्जा इस बार” एक जन अभियान है, जो राज्य के प्रतिष्ठित सिविल सोसाइटी संगठनों के द्वारा संचालित किया जा रहा है. इस अभियान का उद्देश्य राज्य में जलवायु परिवर्तन के संकट के समाधान में अक्षय ऊर्जा खासकर सोलर सोल्यूशंस की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए जन-जागरूकता फैलाना और इस पर आम जनमानस के साथ रचनात्मक संवाद करना है. इस अभियान के तहत किसान चर्चा, स्वास्थ्य पे चर्चा, टाउन हॉल मीटिंग, सोलर संवाद यात्रा और जन स्वास्थ्य सुनवाई आदि विविध कार्यक्रमों के जरिये विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा जैसे क्लाइमेट समाधानों पर आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि एक समृद्ध और खुशहाल बिहार का निर्माण किया जा सके.

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