राजनीतिक दलों से बच्चों ने अपने मुद्दों को तवज्जो देने की मांग की

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पटना, 8 अक्टूबर: यूनिसेफ और चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चाइल्ड राइट्स सेंटर (सीआरसी-सीएनएलयू) के द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन परिचर्चा के दौरान बच्चों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन, मिड डे मिल को 12वीं कक्षा तक बढ़ाना, बाल संसद की तर्ज़ पर एमडीएम समिति, खेल समिति, आदि का गठन, सुझाव पेटी की स्थापना, बाल तस्करी पर रोक, बाल सुरक्षा समितियों की स्थापना, बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को ससमय मुआवज़ा व उनका पुनर्वास, स्कूलों में शिक्षकों व बच्चों के लिए अलग-अलग की बज़ाए एक जैसे साफ़ सुथरे शौचालय, स्कूलों में नियमित स्वास्थ्य जांच, हर बच्चे का स्वास्थ्य बीमा, बाल कानूनों के निर्माण प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी, स्कूलों में साफ़ पेयजल की व्यवस्था, महादलित बच्चों के लिए कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय की तर्ज़ पर आवासीय विद्यालय, सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा, स्कूली स्तर पर सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना जैसे मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाया गया. बच्चों की आवाज को बल देना और राजनीतिक दलों तक इनकी बातों को पहुँचाना के दोहरे उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस कार्यक्रम में यूनिसेफ और सीएनएलयू के अलावा विभिन्न बाल संस्थानों जैसे रेन्बो होम, किलकारी, सेंटर डायरेक्ट, बीवाईसीआर, नारी गुंजन, सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ टेक्नोलॉजी – बोध गया, वैशाली, राजगीर के साथ-साथ मधुबनी, बांका और सुपौल जिले के बच्चों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. इस दौरान किलकारी के निशा गुप्ता और मुनटुन राज ने जीवन का अधिकार पर एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अपने सुझाव रखे. साथ ही बीवाईसीआर के अभिनंदन गोपाल, सेंटर डायरेक्ट के आशीष कुमार ने बाल श्रम से जुड़े अपने-अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बहुमूल्य सुझाव दिए. कार्यक्रम से पहले बच्चों ने आपस में ग्रुप बनाकर जीने का अधिकार, शिक्षा, सुरक्षा, भागीदारी से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा विशिष्ट मांगों की रूपरेखा तैयार की थी जिन्हें कार्यक्रम के दौरान बच्चों द्वारा पेश किया गया. इन सभी मांगों को यूनिसेफ और चाइल्ड राइट्स सेंटर, सीएनएलयू द्वारा अलग-अलग राजनीतिक दलों/गठबन्धनों तक उनके घोषणापत्र में शामिल करने के लिए सौंपा जाएगा.

चाइल्ड राइट्स सेंटर, सीएनएलयू की समन्वयक श्रीमती स्नेहा ने बच्चों का मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत किया. एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में बताया और हर बच्चे को है अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, भागीदारी, सम्मान और प्यार का स्लोगन दुहराया.

कार्यक्रम के शुरूआती संबोधन में यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि चुनाव बच्चों से जुड़े मुद्दों की ओर विधि निर्माताओं का ध्यान आकृष्ट करने का एक सुअवसर है. हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर, राष्ट्रीय बाल अधिकार नीति, राज्य बाल अधिकार नीति से प्रेरणा ले सकते हैं. बच्चों का विकास सभी के विकास के लिए महत्वपूर्ण है. बच्चों के बात और विचार बहुत महत्वपूर्ण है, उनकी बातों को सुना जाना चाहिए और नीति बनाते समय इनका ध्यान रखना चाहिए.

यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ प्रमिला मनोहरण ने कहा कि जब बच्चे बात करते हैं तो हमें ऊर्जा मिलती है. बच्चों द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम की चर्चा सुनकर उनकी जागरूकता का पता चलता है. अब जबकि नई शिक्षा नीति आ गई, तो हम बिना शिक्षा का अधिकार के सही तरह से इसे लागू नहीं कर सकते. उन्होंने हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया करने पर बल दिया.
इंडिपेंडेंट थॉट के विक्रम श्रीवास्तव ने हिस्सा ले रहे बच्चों को लोकतंत्र, चुनाव और इसकी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया. केंद्र और राज्य चुनावों के बीच का अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में सरकारें दो स्तर पर होती है – एक केंद्रीय और दूसरी राज्य स्तर पर. इनके लिए अलग-अलग चुनाव होते हैं और पार्टियां अपना मैनिफेस्टो जारी करती हैं. इन चुनावों में अलग-अलग उम्मीदवार हिस्सा लेते हैं और मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं.

यूनिसेफ की बाल सुरक्षा अधिकारी गार्गी साहा ने बच्चों की सक्रिय भागीदारी के लिए उनकी तारीफ़ की और उनका धन्यवाद दिया. यूनिसेफ के रवि पाढ़ी ने कहा कि विकास सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं है बल्कि किशोरों के स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

इंडिपेंडेंट थॉट के विक्रम श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया. चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा सुश्री साक्षी सर्राफ़ ने बतौर प्रस्तोता अपनी सहभागिता दी. चाइल्ड राइट्स सेंटर की एडवोकेसी समन्वयक सुश्री प्रीती आनंद ने धन्यवाद ज्ञापन करने के दौरान बच्चों की भागीदारी के लिए उनका धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आपकी बातों को राजनीतिक दल तवज्जों देंगे और अपने नीति निर्माण में ध्यान रखेंगे.

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