बिहार सरकार को प्रवासी बिहारियों की कोई चिंता नहीं : पप्पू यादव

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पटना, 18 अप्रैल : “बिहार के बच्चे राजस्थान के कोटा में फंसे हुए हैं। लेकिन राज्य सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है, वहीं दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश अपने छात्रों को कोटा से निकाल रहा है। सुशील मोदी का यह कहना कि तीन महीने तक हम प्रवासी बिहारियों को वापस नहीं ला सकते, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है । उक्त बातें पप्पू यादव ने अपने ‘दिल की बात’ कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलीजेंस की रिपोर्ट के अनुसार  देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है वही बिहार में लगभग 28,000 लोगों पर एक एलोपैथिक डॉक्टर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों के अनुसार, यह अनुपात प्रति एक हजार व्यक्तियों पर एक होना चाहिए. इस लिहाज से देखें तो यह अनुपात तय मानकों के मुकाबले कई गुना कम है.  हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर जीडीपी का मात्र 1.28 प्रतिशत खर्च किया जाता है। जाप अध्यक्ष ने आगे कहा कि “कोरोना में इस्तमाल होने वाले सेनेटाइजर, मास्क और दवा पर टैक्स लगाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।”

पप्पू यादव ने बताया कि कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर जितेंद्र राजकीय सम्मान के हकदार थे। लेकिन बिहार सरकार ने नहीं दिया। जन अधिकार पार्टी, डॉक्टर जितेंद्र के परिवार को 5 लाख रुपये देगी। साथ ही इस महामारी के समय में कोरोना की लड़ाई में कार्य कर रहे कर्मियों की मौत अगर लॉकडाउन के दौरान होती है तो उन्हें एक लाख रुपये की आर्थिक मदद करेगी। उन्होंने सवाल किया कि “बिहार की लचारी के लिए कौन जिम्मेदार हैं?” कोरोना की लड़ाई में बंगाल और झारखंड की सरकार बढ़िया काम कर रही हैं। लेकिन नीतीश कुमार की सरकार हर मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुई है।

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