किसी तरह सत्ता से चिपके रहने के लिए मौकापरस्त नेता हर बार चुनाव से पहले दल बदल अपना निर्वाचन क्षेत्र सुरक्षित कर लेते हैं : राजेश रंजन पप्पू

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पटना। जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय महासचिव राजेश रंजन पप्पू ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के दल बदलने पर कड़ी आपत्ति जतायी है। उन्होंने चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय से इसमें हस्तक्षेप की मांग की है। राजेश रंजन पप्पू ने कहा कि किसी तरह सत्ता से चिपके रहने के लिए मौकापरस्त नेता हर बार चुनाव से पहले दल बदल अपना निर्वाचन क्षेत्र सुरक्षित कर लेते हैं। इससे युवाओं को समुचित अवसर नहीं मिल पाता है। लम्बे समय तक सत्ता से चिपके रहने की वजह से ऐसे नेता जनता के प्रति वफादार कम होते ही हैं, क्षेत्र की समस्याओं को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। इसी का नतीजा है कि आजादी के सात दशक बाद भी समस्या का समाधान जितना होना चाहिए, नहीं हुआ है।
राजेश रंजन पप्पू ने दल-बदल को बढ़ावा देने के लिए जदयू अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को भी जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव से पहले इन्हीं नेताओं ने दूसरे दल से नेताओं को अपने दल में लाने की शुरुआत की। राजद के पांच विधान पार्षदों को जदयू में शामिल करना उसका ताजा उदाहरण है। इसके अलावा राजद से निकाले गये तीन विधायकों को भी पार्टी में शामिल कराने के लिए प्रयासरत रहना उनके आचरण को दोहराता है। राजेश रंजन पप्पू ने राजद को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं की किसी तरह चुनाव जीतना ही लक्ष्य रहता है। नीतीश सरकार से बर्खास्त मंत्री श्याम रजक उन्हीं में से हैं। राजद की हालत खराब थी और उनका फुलवारीशरीफ से चुनाव जीतना मुश्किल था तो उन्होंने नीतीश कुमार का दामन थाम लिया और अब, जबकि नीतीश कुमार की हालत खराब है तो पुनः राजद में शामिल हो गये। केन्द्रीयमंत्री रामविलास पासवान के बाद वह दूसरे दलित नेता हैं जिन्हें लोग मौसम वैज्ञानिक के नाम से पुकारने लगे हैं।

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