डेस्कटॉप व प्रिंटर की खरीद के लिए टेंडर में की गई हिलाहवाली

Home / Press Release / डेस्कटॉप व प्रिंटर की खरीद के लिए टेंडर में की गई हिलाहवाली

पटना। एक तरफ प्रदेश जहां वैश्विक महामारी कोरोना और बाढ़ जैसी आपदा से जूझ रहा है। वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार सरकार के अधिकारी उनकी नाक के नीचे ही इस नाजुक दौर में भी बच्चों के भविष्य के नाम पर भ्रष्टाचार का गंदा खेल खेलने की तैयारी में है। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसईबी) द्वारा रचे गए इस खेल के जरिए प्रदेश के खजाने को करोड़ों रुपये की चपत लग सकती है। जानकारी के मुताबिक बोर्ड सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए कंप्यूटर व प्रिंटर खरीदने जा रहा है। इसके लिए उसने भारत सरकार के जेम पोर्टल पर टेंडर भी निकाला है। जिसे देखकर साफ पता चलता है कि यह टेंडर डेल को फायदा पहुंचाने के लिए तैयार किया गया है।

क्या है मामला

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसईबी) 6360 पीस डेस्कटॉप एंव प्रिंटर खरीदने की तैयारी में है। जिसको लेकर बोर्ड ने भारत सरकार के जेम पोर्टल पर एक टेंडर जारी किया है। टेंडर की समीक्षा करने पर बोर्ड के अधिकारियों के इरादों के बारे में पता चलता है। टेंडर में एक डेस्कटॉप की कीमत प्लान के तहत 95 हजार 352 रूपये, तो प्रिंटर की कीमत 14 हजार 667 रूपये तय की गई है। अगर हम बाजार में मौजूद अन्य ब्रांड जैसे एसर, एचपी, आसुस, लेनोवो के मूल्य देंखे तो इनके डेस्कटॉप 45,000 से 50,000 हजार रूपये में मौजूद हैं। टेंडर में जो कीमत बताई गई है, उससे साफ पता चलता है कि बोर्ड के अधिकारी अधिक मूल्य पर टेंडर जारी कर अपनी जेबें भरना चाहते हैं। जिसके कारण राज्य सरकार के खजाने को करीब 28 करोड़ रूपये का नुकसान होने की संभावना है।

बंद हो गई बिक्री
टेंडर की समीक्षा करने पर यह भी जानकारी मिलती है कि यह टेंडर इस तरह से डिजाइन किया गया है कि डेस्कटॉप में डेल और प्रिंटर में एप्सन जैसी कम्पनी ही क्वालीफाई कर पाएं। दिलचस्प बात यह है कि बोर्ड द्वारा टेंडर जारी किए जाने के बाद ही इन दोनों उत्पादों का कंपनियों ने बिक्री ही बंद कर दी है। इसके अलावा इस टेंडर में प्रधानमंत्री जी के ‘मेड इन इंडिया’ की अनदेखी भी जा रही है।

Bihar Education, Desktop Computers, Multifunction Machines MFM

यहां हैं तकनीकी गड़बड़ी

बोर्ड टेंडर में जिन तकनीकि विशेषताओं का जिक्र किया है, उसमें मुख्य रूप से डेस्कटॉप के लिए न्यूनतम 10वीं जेनरेशन के प्रोसेसर का चयन किया है। जिसे केवल डेल कंपनी ही उपलब्ध करवा रही है। जबकि अन्य अंतरराष्ट्रीय ब्रांड 9वीं जेनरेशन के प्रोसेसर ही उपलब्ध करा सकते हैं। इतना ही नहीं बिहार शिक्षा बोर्ड द्वारा टेंडर में विंडोज 10 होम साफ्टवेयर की मांग की गई है। जिसका उपयोग प्रशिक्षण और शिक्षण के लिए कभी नहीं किया जाता है। इस काम के लिए विंडोज 10 प्रोफेशनल साफ्टवेयर का उपयोग होता रहा है। बड़ी बात यह भी है कि शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने अपनी जेब भरने के लिए माइक्रोसाफ्ट के ‘’भविष्य का निर्माण” कार्यक्रम को भी नजरअंदाज कर दिया है। जबकि इसी कार्यक्रम की पूर्ति हेतु डेल कंपनी सहित अन्य कंप्यूटर निर्माता ब्रांड ने माइक्रोसाफ्ट विन्डोज़ 10 प्रोफेशनल साफ्टवयेर को स्कूल व विभागों को अत्यधिक रियायती मूल्य पर उपलब्ध कराया है। बोर्ड द्वारा विंडोज 10 होम साफ्टवेयर के लाइसेंस का मूल्य 3 से 4 हजार तय किया गया है, जबकि यह 2500 से 3000 प्रति लाइसेंस फीस पर उपलब्ध है।

डेस्कटॉप का डिस्प्ले साइज

इतना ही नहीं डेस्कटॉप का डिस्प्ले साइज जिसे बोर्ड ने चुना है वह 23.8 इंच या उससे अधिक है, जो डेल वोस्ट्रो डेस्कटॉप में ही उपलब्ध है। वहीं अन्य ब्रांड मानक के अनुसार 21.5 इंच डिस्प्ले उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा, बोर्ड ने एप्सन M200 प्रिंटर पर आधारित मल्टीफंक्शन मशीन विनिर्देशों को भी जोड़कर अन्य सभी प्रमुख ब्रांडों जैसे एचपी, कैनन, लेक्सस आदि की अनदेखी की है।

बीएसईबी द्वारा इस षड़यंत्र से एक ओर सरकार के खजाने को भारी नुकसान हो रहा है वहीं सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। सरकार को समय रहते इसकी जांच का आदेश देकर बेहतर उदाहरण पेश करना चाहिए।

Leave a Comment

Top Donors